केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के बीच आठवें वेतन आयोग को लेकर चल रही चर्चाओं के मध्य, सरकार ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। हाल में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में महंगाई भत्ते (डीए) को मूल वेतन में विलय करने की जो अटकलें लगाई जा रही थीं, केंद्र सरकार ने उन्हें स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
मौजूदा स्थिति: डीए में हुई 50% की वृद्धि
वर्तमान में, केंद्रीय कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 50% महंगाई भत्ते के रूप में मिल रहा है। यह दर 1 जनवरी 2024 से प्रभावी है। इस उच्च दर ने ही यह चर्चा और गर्माई है कि क्या अब डीए को मूल वेतन में शामिल किया जाना चाहिए।
कर्मचारी संगठनों की मांग और सरकार का रुख
विगत कुछ समय से विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने मांग रखी थी कि जब डीए 50% के स्तर को पार कर जाए, तो उसे मूल वेतन में समायोजित किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि ऐसा करने से भविष्य के वेतन आयोगों की गणना का आधार मजबूत होगा और पेंशन सहित अन्य लाभ भी बढ़ेंगे।
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मांग पर स्पष्ट रूप से अपना रुख व्यक्त किया है। वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, “फिलहाल डीए को मूल वेतन में विलय करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।” सरकार का मानना है कि ऐसा कदम राजकोष पर अतिरिक्त बोझ डालेगा और इसके दूरगामी वित्तीय परिणाम होंगे।
इतिहास और वर्तमान संदर्भ
डीए विलय की मांग को समझने के लिए ऐतिहासिक संदर्भ महत्वपूर्ण है। पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद, जब डीए 50% से अधिक हो गया था, तो उसे मूल वेतन में समायोजित किया गया था। हालांकि, छठे और सातवें वेतन आयोग के बाद से ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “महंगाई भत्ते का नियमित समायोजन, जो वर्तमान में छह माह के अंतराल पर किया जाता है, कर्मचारियों को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय है।”
आठवें वेतन आयोग: क्या है स्थिति?
आठवें वेतन आयोग को लेकर भी सरकार की स्थिति स्पष्ट है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें जुलाई 2026 तक लागू रहेंगी। परंपरानुसार, नए वेतन आयोग का गठन वर्तमान आयोग की सिफारिशों की समाप्ति से लगभग दो वर्ष पूर्व किया जाता है। इस हिसाब से, यदि आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाना है, तो उसके लिए 2024 के अंत तक का समय संभावित माना जा रहा है।
हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “आठवें वेतन आयोग के गठन और उसकी समयसीमा पर कोई निर्णय लिया जाना बाकी है। यह सरकार का विशेषाधिकार होगा।”
कर्मचारियों पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
सरकार के इस फैसले का सीधा असल केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स पर पड़ेगा। डीए विलय न होने से:
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भविष्य के वेतन आयोग की गणना में मूल वेतन का आधार नहीं बढ़ेगा
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पेंशन गणना पर सीधा प्रभाव पड़ेगा
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विभिन्न भत्ते और लाभ, जो मूल वेतन के प्रतिशत पर आधारित हैं, अपेक्षानुसार नहीं बढ़ेंगे
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद स्थिति में बदलाव आ सकता है। नया आयोग अपनी रिपोर्ट में डीए विलय सहित विभिन्न मुद्दों पर सिफारिशें कर सकता है।
केंद्र सरकार ने फिलहाल डीए विलय की सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। सरकार का ध्यान वर्तमान व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने पर है, न कि ऐसे बदलावों पर जिनके वित्तीय परिणाम व्यापक हों। कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय पर निराशा जताई है, लेकिन वे आठवें वेतन आयोग के गठन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहाँ वे अपनी मांगों को फिर से रख सकते हैं।